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NAAC का फुल फॉर्म है नेशनल असेसमेंट एंड एक्रिडिटेशन काउंसिल (National Assessment and Accreditation Council). यह भारत सरकार द्वारा स्थापित एक संस्था है जो उच्च शिक्षा संस्थानों का मूल्यांकन और प्रत्यायन करती है। NAAC का मुख्य उद्देश्य है उच्च शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार करना.
NAAC रेटिंग क्यों महत्वपूर्ण है?
NAAC रेटिंग किसी संस्थान की गुणवत्ता का प्रतीक होती है। यह छात्रों, अभिभावकों और नियोक्ताओं को यह जानने में मदद करती है कि कोई संस्थान शिक्षा, अनुसंधान और बुनियादी ढांचे के मामले में कैसा है। NAAC रेटिंग के आधार पर ही संस्थानों को विभिन्न सरकारी और गैर-सरकारी योजनाओं का लाभ मिलता है।
NAAC रेटिंग कैसे दी जाती है?
NAAC रेटिंग देने के लिए संस्थान का विभिन्न मानदंडों पर मूल्यांकन किया जाता है, जैसे कि:-
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* शिक्षण-अधिगम प्रक्रिया: इसमें शिक्षण की गुणवत्ता, शिक्षकों की योग्यता, छात्रों की प्रगति आदि शामिल हैं.
* बुनियादी ढांचा: इसमें पुस्तकालय, प्रयोगशालाएं, खेल के मैदान आदि शामिल हैं.
* अनुसंधान: इसमें शिक्षकों और छात्रों द्वारा किए गए अनुसंधान कार्य शामिल हैं.
* प्रशासन और नेतृत्व: इसमें संस्थान का प्रबंधन, नेतृत्व और निर्णय लेने की प्रक्रिया शामिल है.
* छात्र समर्थन और प्रगति: इसमें छात्रों को दी जाने वाली सुविधाएं, उनकी प्रगति और प्लेसमेंट आदि शामिल हैं.
इन मानदंडों के आधार पर संस्थान को ग्रेड दिए जाते हैं। NAAC रेटिंग A++, A+, A, B++, B+, B, C और D के रूप में दी जाती है। A++ उच्चतम ग्रेड है, जबकि D सबसे कम ग्रेड है.
NAAC रेटिंग के लाभ
* संस्थानों के लिए: NAAC रेटिंग संस्थानों को अपनी कमजोरियों और ताकत का पता लगाने में मदद करती है। इससे उन्हें अपनी गुणवत्ता में सुधार करने में मदद मिलती है.
* छात्रों के लिए: NAAC रेटिंग छात्रों को यह जानने में मदद करती है कि कोई संस्थान शिक्षा के मामले में कैसा है। इससे उन्हें अपने लिए बेहतर संस्थान चुनने में मदद मिलती है.
*नियोक्ताओं के लिए: NAAC रेटिंग नियोक्ताओं को यह जानने में मदद करती है कि किसी संस्थान से पास हुए छात्रों की गुणवत्ता कैसी है. इससे उन्हें अच्छे कर्मचारियों की भर्ती करने में मदद मिलती है.
*NAAC रेटिंग की वैधता*
NAAC रेटिंग 5 साल के लिए वैध होती है। इसके बाद संस्थान को फिर से मूल्यांकन करवाना होता है.
अब आप सभी समझ चुके हैं एनएएसी रेटिंग का मामला क्या है इसे लेकर क्यों रेड पड़ी है… आसान शब्दों मे हम कहे कि अक्सर हम किसी भी सामान को ऑनलाइन खरीदने से पहले उसकी रेटिंग देखते हैं उसे समझते हैं उसके बाद हम वस्तु को खरीदने हैं कुछ इसी तरीका का मामला एजुकेशन में भी है पहले हम उसकी कॉलेज की संस्थान की रेटिंग समझते हैं यही इन दोनों पलामू में देखने को मिला जहां NAAC रेटिंग निरीक्षक मामले में छापेमारी हुई थी…. यह छापामारी सिर्फ पलामू में ही नहीं बल्कि अन्य राज्यों की 20 शहरों में भी हुई है …….
अमूमन हम सब इस रेटिंग के पीछे बहुत कम लोग भागते हैं क्योंकि हमें पता रहता है की रेटिंग देने वाला उसका ही कोई अपना आदमी होता है इसलिए हम रेटिंग नहीं बल्कि क्वालिटी देखते हैं… और जमीनी स्तर का क्वालिटी ही देखना चाहिए….
इस पूरे वाक्य से किसी भी संस्थान को बदनाम करना यह गलत है……..