
पलामू जिला के हुसैनाबाद शहर के गणेशपुरी स्थित ज्ञानोदय पब्लिक स्कूल में 12 सितंबर, 2025, दिन शुक्रवार को आयोजित एक यादगार साहित्यिक कार्यक्रम के तहत युवा कवि सह साहित्यकार विनोद सागर ने अपने दिवंगत पिताजी की पहली पुण्यतिथि पर नई दिल्ली के क़लमकार पब्लिशर्स प्राइवेट लिमिटेड द्वारा प्रकाशित अपनी सातवीं पुस्तक ‘संभावना अभी जीवित है’ (लघुकथा-संग्रह) का विमोचन किया। इस अवसर पर मासिक पत्रिका ‘अरण्य वाणी’ एवं दैनिक अख़बार ‘बदलता झारखंड’ के संपादक, साहित्यिक संस्था ‘मौसम’ के अध्यक्ष सह युवा कवि विनोद सागर के साथ मुख्य अतिथि महावीर जी मंदिर सह महावीर जी भवन प्रबंधन समिति के अध्यक्ष राकेश कुमार तिवारी, अध्यक्षता कर रहे सांसद प्रतिनिधि श्रवण कुमार अग्रवाल, विशिष्ट अतिथि वरीय अधिवक्ता आलोक कुमार, निवर्तमान वार्ड पार्षद राजेन्द्र पाल, समाजसेवी सह साहित्यकार अशोक मेहता, डॉ. मलय कुमार रॉय, समता स्कूल के निदेशक डॉ. अक्षय कुमार चौहान, साहित्यिक संस्था ‘मौसम’ के सचिव मनोज कुमार प्रजापति, अख़बार विक्रेता प्रेमचंद चौधरी, युवा पत्रकार कृष्णा यादव, उत्तम कुमार, पवन कुमार सिंह तथा युवा कवयित्री करिश्मा काँस्यकार ने संयुक्त रूप से पुस्तक का विमोचन किया।
मुख्य अतिथि राकेश कुमार तिवारी ने कहा कि साहित्य समाज की आँख है, जो अन्याय, कुरीतियों और सामाजिक असमानताओं के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाता है। विनोद सागर की यह पुस्तक सामाजिक यथार्थ को सुंदरता और संवेदना के साथ प्रस्तुत करती है। प्रत्येक लघुकथा में मानवीय संवेदनाएँ, संघर्ष और उम्मीद की झलक मिलती है।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे सांसद प्रतिनिधि श्रवण कुमार अग्रवाल ने कहा कि विनोद सागर की लेखनी समाज के हर वर्ग तक प्रेरणा पहुँचाती है। यह पुस्तक पाठकों को सकारात्मक सोच की ओर मार्गदर्शन करती है।
वरीय अधिवक्ता आलोक कुमार ने विमोचन करते हुए टिप्पणी की और कहा कि साहित्य समाज सुधार का एक महत्त्वपूर्ण माध्यम है। विनोद सागर की यह पुस्तक सामाजिक न्याय और नैतिकता की अनमोल कड़ी बनकर उभरी है।
निवर्तमान वार्ड पार्षद राजेन्द्र पाल ने कहा कि ‘संभावना अभी जीवित है’ एक प्रेरक संकलन है, जो हर पाठक को सोचने और बदलने की प्रेरणा देता है।
समाजसेवी अशोक मेहता ने बताया कि विनोद जी की पुस्तक समाज में व्याप्त कुरीतियों और अन्याय के विरुद्ध मुखर होकर लेखन का कार्य करती है।
डॉ. मलय कुमार रॉय ने कहा कि विनोद सागर का लेखन सामाजिक जागरूकता का प्रतीक है, जो पाठकों को आत्म-मंथन करने पर मज़बूर करता है।
समता स्कूल के निदेशक डॉ. अक्षय कुमार चौहान ने यह भी जोड़ा कि ‘संभावना अभी जीवित है’ में प्रस्तुत लघुकथाएँ शिक्षा और नैतिक मूल्यों को भी उजागर करती हैं।
मंच-संचालन करते हुए साहित्यिक संस्था ‘मौसम’ के सचिव मनोज कुमार प्रजापति ने कहा कि विनोद सागर का लेखन समाज के दर्द को बख़ूबी प्रस्तुत करता है। उनकी रचनाएँ संवेदनशीलता के साथ समाज के हर वर्ग को जागरूक करती हैं।
अख़बार विक्रेता प्रेमचंद चौधरी ने कहा कि विनोद सागर की पुस्तक ने सामाजिक समस्याओं पर प्रकाश डालने का काम किया है और इसे हर घर में पढ़ा जाना चाहिए।
युवा पत्रकार कृष्णा यादव ने कहा कि ‘संभावना अभी जीवित है’ समाज के अंधकार को रोशनी में बदलने की क़वायद है। विनोद जी की यह पुस्तक हर नागरिक के लिए प्रेरणास्रोत है।
युवा पत्रकार उत्तम कुमार ने कहा कि विनोद सागर की लेखनी समाज में व्याप्त कुरीतियों के खिलाफ खड़ी होकर उज्ज्वल भविष्य की उम्मीद जगाती है। उनकी यह रचना समकालीन समाज की सच्चाई को उजागर करती है।
युवा पत्रकार पवन कुमार सिंह ने व्यक्त किया कि साहित्य समाज की क्रांति का माध्यम है और विनोद जी की यह रचना समाज के बदलाव की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण क़दम है।
युवा कवयित्री करिश्मा काँस्यकार ने कहा कि विनोद जी की लेखनी में सजीवता है। उनके शब्द समाज के हर तबके तक प्रेरणा और बदलाव की ऊर्जा पहुँचाते हैं। ‘संभावना अभी जीवित है’ एक ऐसी पुस्तक है, जो संवेदनशीलता के साथ सामाजिक चेतना भी उत्पन्न करती है।
इस मौक़े पर विनोद सागर ने अपनी इस कृति को अपने दिवंगत पिताजी को समर्पित करते हुए उनकी स्मृतियों पर प्रकाश डाला। साथ ही, कार्यक्रम को सफल बनाने पर सभी आगंतुक अतिथियों का धन्यवाद ज्ञापन किया। कार्यक्रम में उपस्थित साहित्य प्रेमियों ने पुस्तक का संगोष्ठी वाचन भी किया। पूरे वातावरण में साहित्य और संवेदनशीलता का मिश्रण बना रहा, जिससे यह आयोजन अत्यंत सफल और प्रेरणादायक बना।