घोलना है तो मिठास घोलो जीवन में जहर क्यों घोलते हो: अविनाश देव

पलामू: मेरी जिदंगी की शुरुआत अच्छी नहीं रही. मां के बचपन में गुजर जाने से वात्सल्य से वंचित रहा. मन उमड़-घुमड़ कर मां के आंचल ढूंढता रहा किंतु मिलना तो सपना था. माता के आंचल का आह हमेशा सालता रहा पर दुलार मिला नहीं, तरस ऐसा जो दूसरों को देख कर आंख डबडबा जाता. बचपन के शरारत से मैं भी बाज नहीं आया और चाचा लोग से भरपूर मार खाया. घर के कामों में ठेला भी खींचा चौआनी भी चुराया. पौधा के जड़ को तरी की जरूरत थी तब बचपन के जमीन पर दरार खुल रहा था. पिता राजनीतिक कामों में मशगूल रहते थे और हम हॉस्टल के पढ़ाई में मशगूल. मेरी जिदंगी में कोई मंजिल कोई रास्ता नहीं था,कुछ दिनों के लिए रास्ता भटका और जेल जीवन का भी अनुभव प्राप्त किया. बढ़ती उम्र में पॉकेट थोड़ा बड़ा होने लगा जिसकी पूर्ति ट्यूशन से किया। पिता जी विद्यालय चलाते थे विद्यालय राजनीति का भेंट चढ़ गया. कुछ दिनों बाद पिता जी की मौत हो गई. मैं पूरी तरह से टूट गया दो भाई दो बहन की जिम्मेदारी मेरे नाजुक कंधों पर आ गया. अपनो ने आंसू पोंछा इष्ट मित्रों शुभ चिंतकों ने साथ दिया और हिम्मत से आगे बढ़ने का संकल्प लिया. पिता के छोड़ी विरासत संत मेरी के चार बच्चों से शुरुआत कर आज संत मरियम में चार हजार के पार बच्चों की संख्या की. युग का जुआ कंधों पर चढ़ा तब व्यवहारिक जीवन में ये दो लोगों किसान के हंसुआ मजदूर के हथौड़ा से सीखा कि किसी के जीवन में घोलना है तो मिठास घोलों जहर मत घोलों. तब से मैं कलम को थाम्हा और लोगों के जीवन में मिठास घोलने कि बीड़ा उठाया. आदमी के जीवन में भोजन और शिक्षा ये दोनों की महत्वपूर्ण भूमिका है,इसीलिए शिक्षा के साथ कृषि और पशुधन के सेवा संवर्धन में लगा हूं। कृषि के क्षेत्र में अभी गुड़ का उत्पादन शुरू है, कोलसार का मुआयना किया जांचा देखा चखा परखा और तोहफ़ा के तौर पर अपनो को गुड़ खिलाने का निर्णय लिया. महानगरों की खुशहाली गावों कि भुखमरी से है. इस भुखमरी से निजात के सवाल पर प्रेमचंद ने अपने कहानियों में कृषि पशुधन का जिक्र किया है. गेहूं और गुलाब में रामबृक्ष बेनीपुरी ने गेहूं पर बल दिया है। भूमंडलीकरण के दौर में पलायनवादी संस्कृति हावी है और गांव से गुड़ गोबर गेहूं गायब हो गया. गुड़ से पलायन को पुनर्वापसी कर रहे हैं और ग्रामीण भारत में मिठास घोलने कि एक कोशिश जारी है ताकि हर नागरिक समृद्ध हो सके. यह गुड़ महज मिठास ही नहीं एक बड़ा औषधि भी हैं. इस गुड़ को अपना कर ग्रामीण भारत के अर्थव्यवस्था को मजबूत करें और निरोग रहें.

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